दोस्तों हम सभी ने मैदे से बनी हुई चीजें जरूर खाई होंगी लेकिन क्या आपको पता है कि मैदा कैसे बनता है(maida kaise banta hai in hindi) अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे कि मैदा को कैसे बनाया जाता है और इसको खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं और कितनी मात्रा तक इसे खाना ठीक है।
आपको बस इस लेख को पूरा पढ़ना है और आपको मैदा (Maida) से जुड़े सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा।
मैदा कैसे बनता है ? (Maida kaise banta hai in hindi)
दोस्तों मैदा को बनाने के लिए गेहूं का इस्तेमाल किया जाता है। गेहूं को डायरेक्ट पीस दें तो आटा बन जाता है लेकिन मैदा बनाने की प्रक्रिया थोड़ी सी अलग है। गेहूं से मैदा बनाने के लिए पहले गेहूं को अच्छी तरह से धोया जाता है अच्छी तरह से धोने के बाद उसे सुखाया जाता है जब गेहूं बिल्कुल सूख जाता है तो मशीन में डालकर के उसकी ऊपरी परत को उतार दिया जाता है और अंदर के बचे सफेद पार्ट को महीन पीसा जाता है जिससे मैदा बनकर तैयार होती है।
इस प्रक्रिया को बड़ी–बड़ी मशीनों के द्वारा पूरा किया जाता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि गेहूं से बनी हुई रोटियां तो हम रोज खाते हैं लेकिन हमें मैदा से बनी हुई चीजें कम खाने को क्यों कहा जाता है। जब दोनों चीजें समान गेहूँ से ही बनती है तो मैदा में और आटे में इतना फर्क क्यों होता है। और मैदा को खाने से आपके शरीर में क्या क्या नुकसान हो सकते हैं। आइये बारीकी से समझते है।
यह भी देखें – गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें?
मैदा को खाने के नुकसान क्या है?
दोस्तों मैदा और आटा दोनों गेहूँ से ही बनते हैं लेकिन ऐसा क्यों है कि मैदा खाने से नुकसान होता है लेकिन आटा थाने से नहीं।इसका मुख्य कारण यह है कि मैदा बनने की जो प्रक्रिया होती है उसमें जब गेहूँ की ऊपरी परत को हटा दिया जाता है तो उस ऊपरी परत में मौजूद गेहूँ के पोषक तत्व और फाइबर हट जाते है जो हमारे पाचन में सहायता करता है और पोषक तत्व पोषण में सहायता करते हैं।
लेकिन मैदा बनाने की प्रक्रिया में दोनों ही चीजों को हटा दिया जाता है जिससे मैदा का ना तो सही से पाचन हो पाता है और ना ही सही से पोषण तत्व मिल पाते हैं। इसी कारण से मैदा को सफेद ज़हर भी कहा जाता है तो आइए जानते हैं इससे आपके शरीर में क्या क्या नुकसान हो सकते हैं।
पाचन संबंधी समस्या
गेहूँ की ऊपरी परत में जो फाइबर होता है वह पाचन में बहुत मदद करता है और मैदा बनाने में उस फाइबर को हटा दिया जाता है।फाइबर हटने से होता यह है कि मैदा का पाचन सही से नहीं हो पाता है पाचन नहीं होगा तो पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होगी इसीलिए मैदा को कम खाने के सुझाव दिए जाते हैं। साथ ही मैदा छोटी आँत में भी चिपक जाती है।
कोलेस्ट्रोल का बढ़ना
मैदा के अधिक सेवन से कोलेस्ट्रोल बढ़ जाता है जिससे मोटापा बढ़ता है और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो जाती है। आपने देखा होगा कि अधिकतर फास्ट फूड में मैदा का उपयोग होता है। और जो व्यक्ति ज्यादा फास्ट फूड का सेवन करता है उसमें मोटापे की समस्या अमूमन देखने को मिलती है और मोटापे के साथ–साथ बहुत सारी बीमारियां हो जाती हैं जिसमें हाई ब्लड प्रेशर भी शामिल है।
गैस संबंधी समस्या
मैदा का अधिक सेवन करने से उसके पाचन में परेशानी आती है और पाचन ना होने के कारण शरीर में गैस संबंधी समस्या भी हो जाती है जिससे सर दर्द व तनाव इत्यादि की समस्या हो जाती है।
शुगर की समस्या
मैदा का अधिक सेवन करने से शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है शर्करा का स्तर बढ़ने से हमारा अग्नाशय अधिक मात्रा में इंसुलिन रिलीज करता है। अगर आप रोज अधिक मात्रा में मैदा का सेवन करते हैं तो अग्नाशय के इंसुलिन प्रोड्यूस करने की क्षमता धीरे–धीरे कम हो जाती है जिससे शरीर में शुगर लेवल बढ़ जाता है और आपको डायबिटीज की समस्या हो सकती है।
यह भी देखें – बैंक अकाउंट कैसे खोलते है ?
क्या मैदा बिलकुल नहीं ख़ाना चाहिए?
दोस्तों आप ने मैदा खाने से होने वाले नुकसान और को तो जान लिया है तो स्वाभाविक बात है कि आपके मन में यह सवाल आए कि क्या मैदा को बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। हमने मैदा खाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया है लेकिन हमने यह नहीं कहा कि आप मैदा को बिल्कुल भी ना खाएं।
अगर आपको मैदा से बनी कुछ चीजें जो अच्छी लगती है उन्हें खा सकते हैं लेकिन उन्हें पचाने के लिए आपको साथ में कुछ फाइबर से भरपूर चीजें ऐड करनी पड़ेगी। जैसे सलाद में काफी फाइबर होता है तो आप उस पार्टिकुलर मैदा की चीज के साथ सलाद जरूर खाएं ताकि फाइबर ऐड हो जाए और मैदा के पाचन में कोई दिक्कत ना हो।
FAQ
मैदा कौन सी चीज से बनता है?
मैदा गेहूँ के ऊपरी भाग को हटाने के बाद उसके अंदरूनी सफेद भाग को महीन पीसने से बनता है।
मैदा हानिकारक क्यों है?
मैदा बनाने की प्रक्रिया में गेहूं की ऊपरी परत जिसमें फाइबर और पोषक तत्व सबसे अधिक मात्रा में होते हैं उसको हटा दिया जाता है और बचे हुए भाग से मैदा बनती है जिससे फाइबर ना होने के कारण मैदा से बनी चीजों को पचाने में बहुत ही दिक्कत होती है इसलिए मैदा को हानिकारक माना जाता है।
क्या हफ्ते में एक बार मैदा खाना ठीक है?
हफ्ते में एक बार मैदा खाने से कुछ नहीं होता आप आराम से खा सकते हैं लेकिन नुकसान से बचाव के तौर पर उसमें थोड़ा फाइबर ऐड कर लें । फाइबर से भरपूर चीजें उसके साथ ऐड करके खाएं इससे मैदा का पाचन सही से होगा। साथ ही मैदा से बहुत सी चीजें बनती हैंआप उनके बारे में जरूर जान ले कहीं ऐसा ना हो कि आप मैदा खा रहे हो और आपको पता भी ना हो।
क्या मैदा को पचाना मुश्किल है?
मैदा को पचाना काफी मुश्किल होता है यह बात बिल्कुल सही है और इसीलिए मैदा को कम खाने के सुझाव दिए जाते हैं और मैदा को पचाना मुश्किल होने का कारण इसकी बनने की प्रक्रिया है जिसमें गेहूँ की ऊपरी परत जिसमें पाचन तत्व शामिल होते हैं उसे हटा दिया जाता है जिससे मैदा को पचाना मुश्किल हो जाता है।
मैदा को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
मैदा को इंग्लिश में Refined Wheat Flour (रिफाइंड व्हीट फ्लोर) कहा जाता है। मतलब रिफाइन किया गया गेहूँ का आटा।
मेरे विचार
देखिए कभी कभार मैदा से बनी चीजें खाना गलत नहीं है मैदा से काफी ऐसी चीजें बनती है जो काफी स्वादिष्ट होती है और स्वाद लगभग हर मनुष्य को पसंद होता है। इसलिए मैदा बिल्कुल ना खाएं ऐसा तो हो नहीं सकता हमारे जीवन की दिनचर्या में मैदा की बहुत सी चीजें हम इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन हमें थोड़ा सा जागरूक होना पड़ेगा कि मैदा में जो चीजें नहीं होती है जैसे फाइबर उन्हें हम बाहर से ऐड करके खा सकते हैं। जिन चीजों में ज्यादा मात्रा में फाइबर होता है उन चीजों को हम मैदा से बनी चीजों के साथ खाएं ताकि पाचन में दिक्कत ना हो।
मैदा से काफी चीजें बनती है जैसे ब्रेड जो हम काफी इस्तेमाल करते हैं। बर्गर, पिज़्ज़ा का बेस, भटूरे, कुलचे और भी बहुत सारी चीजें हैं।तो आपको इन चीजों के बारे में पता भी होना चाहिए कि कौनसी चीज़ मैदा से बनी है। ऐसा भी हो सकता है कि आप मैदा से बनी चीज खा रहे हो और आपको यही नहीं पता हो कि यह मैदा से बनी है। मैदा से क्या-क्या बनता है यह जानने के लिए लिंक पर क्लिक करके आर्टिकल को पढ़े।
मैदा से बनने वाली 22000+ Recipes
आज हमने Hindi में जाना की Maida kaise banta hai और उसके क्या नुकसान है और उसे खाने के लिए आपको क्या करना चाहिए आशा करता हूं आपको जानकारी अच्छी लगी होगी। अंत में बस यही कहना है कि स्वस्थ रहिए मस्त रहिए।